सोमवार, 25 जून 2012

सामान


घर के हर कोने में
बिखरी जिन्दगी,
आज बस सामान बन कर रह गई ,
चेहरा एक तस्वीर बन कर रह गया,
आवाज एक अरमान बन कर रह गई ,
हो गया ग़म से मेरा यूँ सामना,
फिर ख़ुशी अनजान बन कर रह गई ।

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