मंगलवार, 19 जून 2012

रात

कहीं पड़ा था मैंने,
कि  सबसे खतरनाक समय होता है,
रात को बिस्तर पर  लेटने  के बाद,
और नींद आने से पहले का,
जब सारी  दुनिया सो जाती है,
और रात के सन्नाटे में,
किसी एक को नींद नहीं आती  है,
आजकल रोज रात को
 मेरी भी यही हालत होती है,
बिस्तर पर लेटते ही,
एक अजीब सी घबराहट होती है,
चरों और अँधेरे को देख कर लगता है ,
कि अब ये रात कभी ख़तम ही नहीं होगी,
सारी  दुनिया यूँही ,
अँधेरे में डूबी रहेगी,
क्योंकि ऐसी ही एक अँधेरी रात में,
मेरे घर का दीप बुझ गया था,
मेरा एक अपना मुझसे छिन गया था,
और मैं रात के सन्नाटे में,
चीखती चिल्लाती रह गयी थी ,
उस रात के बाद रोज सुबह होती है,
मगर मेरे जीवन का सन्नाटा ज्यों का त्यों रहता है,
रात से भी गहरा और विस्तृत।


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